tag:blogger.com,1999:blog-21698286393640266332024-03-05T22:31:09.000-08:00kaha-sunasay anything...BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-55905648118289753482011-06-13T23:21:00.001-07:002011-06-13T23:31:27.075-07:00तस्वीरें जरा हट केBHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-83006217329025245162011-06-13T22:48:00.000-07:002011-06-13T23:20:18.006-07:00टीम के बगैर कोई भी उल्लास संभव नहीं। उल्लास इस वर्ष मां तुझे प्रणाम की पहली कड़ी थी, इसलिए हम सब की दिल की धड़कनें तेज थीं। सारा ध्यान इस बात पर था कि हम पिछले साल के मुकाबले बड़ी लाइन खींचें और हमें गहरा संतोष है कि हम इसमें कामयाब हुए। जाहिर तौर पर इस जीत का श्रेय हमारे मुखिया संपादक श्री सूर्यकांत द्विवेदी जी और पूरी टीम को है। खास तौर पर महिला मंडल रजनी, शालू, आरती, पारुल, वंदना, सुचित्रा और BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-56744708721463191562011-06-13T22:24:00.000-07:002011-06-13T22:40:45.490-07:0010 जून को आरजी पीजी कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम उल्लास-आजादी का अमर उजाला की बेमिसाल कोशिश है। इसमें डेढ़ दर्जन से अधिक संस्थाओं ने अपनी प्रस्तुति से देश प्रेम की अनोखी छंटा बिखेरी। आधी दुनियां ने साबित किया कि वे किसी से पीछे नहीं है। चाहे मामला घर संभालने का हो या फिर राष्ट्रभक्ति का, वे सबसे आगे हैं। कुछ तस्वीरें खास आपके लिए.....BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-71472526078495210242011-06-13T21:59:00.000-07:002011-06-13T22:24:06.172-07:00मां तुझे प्रणाम10 मई से 15 अगस्त के बीच होने वाला अमर उजाला का कार्यक्रम मां तुझे प्रणाम अपने आप में अनूठा है। हमारे एमडी सर अतुल माहेश्वरी जी कल्पना की थी कि आजादी के जश्न को सरकारी फाइलों और स्कूली बच्चों के कंधे से उतार कर जन जन तक पहुंचाया जाए। इसी सिलसिले में 2022 में कानपुर से शुरू हुआ मां तुझे प्रणाम पिछले तीन सालों से मेरठ की धड़कन बना हुआ है। यहां आम लोगों को इस कार्यक्रम का इंतजार रहता है। इस बार हमBHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-4427782838408645042011-06-13T21:43:00.000-07:002011-06-13T21:57:18.898-07:00चीनी कमवक्त कहां गुजर जाता है पता ही नहीं चलता। कभी लगता है दबोच लूं अपना सारा कल, अपने दोस्त, अपनी जिंदगी, मुट्ठी में। कुछ भी न छूटे। उनकी हाजिरी की गरमी महसूस कर सकूं अपनी हथेलियों के बीच लेकिन ऐसा नहीं हो पाता। रेलगाड़ी के डिब्बे में बैठा देखता हूं अपनों को बिछड़ते। आदमकद से धीरे-धीरे छोटा होते और फिर दूर स्मृतियों में खोते। मेरठ में सब कुछ अच्छा है, ताजा है, काम की गर्मजोशी भी है पर कुछ कमी है जो BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-82040956928742312212011-01-09T04:04:00.000-08:002011-01-09T05:41:29.867-08:00पेट की गरमी पसर गई जिस्म परमेरठ आए अब सवा महीने बीत चुके हैं। इतने दिनों में जिस चीज को लेकर सबसे अधिक मेहनत करनी पड़ी, वह है लोगों और इलाकों के नाम याद रखना। खास तौर पर साथियों के उपनाम जाखड़, धनकड़ के नाम जुबान पर मुशि्कल से चढ़े। ऐसे ही रास्तों को भी समझने में अधिक सचेत रहना पड़ा। खैर नगर, लिसाड़ी गेट, मोदीपुरम, बुढ़ाना गेट, कबाड़ी बाजार और ऐसे ही कई नाम ऐसे हैं जो अब जाकर जेहन का हिस्सा बन पाए। एक बार तो अपने सीनियर BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-42301432632870353302010-12-04T07:33:00.000-08:002010-12-04T07:44:11.071-08:00alvida allahabadallahabad se mujhe pyar hai. bina shart. 1994 ke shuru ma jab bade sapne le kar aya tha tab bhi aur ab jab apne sare sapne apni hi potli me samet kar allahabad chod raha hu tab bhi. jab dobara allahabad aya tha to yaha bachpan ke yadee kheenchti thee, ab ja raha hu to utsah, umang aur khas taur par allahabad ka sikhaya hua yad aa raha hai.BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-46640466834655100742010-12-04T07:27:00.000-08:002010-12-04T07:30:05.901-08:00alvida llahabadBHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-34078325761484567062010-09-13T02:30:00.001-07:002010-09-13T03:30:21.473-07:00वो समझ बैठे कि हम भी फरेब करते है.उन सभी लोगो को धन्यवाद जो मेरे साथ मेरी ताकत बन कर खड़े है न कि मेरे लिए श्यापा कर रहे हैं. इसी हफ्ते ऑफिस जाते समय कुछ पंक्तिया होठो पर आयीं, आप सबके लिए मेरी ओर से .....नज़र को फेर कर वो दिल पे वार करते हैंऔर एक हम है कि उनको सलाम करते हैं. उनके पहलु में मेरे जख्म सारे सूख गए वो समझ बैठे कि हम भी फरेब करते है.काट के पंख मेरे, देखो वो कैसा झूम उठाये अलग बात है कि हम BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-28203554590041533372010-09-11T09:51:00.000-07:002010-09-11T10:25:35.209-07:00कहा सुना माफ़२००९ में मुम्बई में जिस फूलों वाली लड़की ने मुझे कर्ज में डाला था उसने मुझे ब्लॉग पर भी कर्ज से मुक्त नहीं होने दिया. पूरे ८ महीने बीत गए और मै लाख चाह कर भी फूलों वाली लड़की की दास्ताँ नहीं कह सका. इस दैरान समंदर में जाने कितना पानी बह गया इसलिए जी करता है कि उसका कर्जदार बना रहूं. क्या पता अपनी इस गलती से जीवन का कोई और नया सबक हासिल कर सकूं. अख़बार में पूरे १५ साल रिपोर्टिंग करने के बाद अपनी BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-9405534909869790232009-12-28T19:02:00.000-08:002009-12-28T19:08:56.738-08:00फूलों वाली लड़कीBHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-50601853015243978852009-12-27T20:06:00.000-08:002009-12-27T20:38:37.865-08:00हेलो मुंबई...आज मुंबई में दूसरी सुबह है। हम अभी तय कर रहे हैं कि एस्सेल वल्डॆ चलें या मुरुड. मैं मुरुड जाना चाहता था क्योंकि यह वही रास्ता था जिस रास्ते कासिद से होकर २६ नवंबर के कातिल मुंबई आए थे। मैं भी इस कमजोर कड़ी को देखना चाहता था। हालांकि अंत में यही तय हुआ कि एस्सेल वल्डॆ ही चलें क्योंकि बेटू उसे लेकर काफी रोमांचित हैं। ये पोस्ट सिफॆ आपको अपडेट करने के लिए डाल रहा हूं। डिटेल पोस्ट इलाहाबाद लौट कर BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-42022384529646973982009-12-27T11:00:00.000-08:002009-12-27T11:43:53.452-08:00गुड नाइट मुंबई...माफ कीजिएगा, इलाहाबाद से निकला तो सोचा था कि मोबाइल के जरिए आप से संपकॆ बनाए रखूंगा लेकिन उसकी नौबत ही नहीं आई। २४ दिसंबर को इलाहाबाद से सिरडी के लिए रवाना हुआ तो कुछ किलोमीटर के बाद ही खुद को श्रेष्ठ साबित करने की होड़ में रहने वाली एयरटेल और वोडाफोन कंपनियों के नेटवकॆ्स ने साथ छोड़ दिया।भला हो अंबानी बंधुओं का कि फैमिली में तमाम ब्रेक्स के बाद भी रिलायंस का नेटवकॆ बिना ब्रेक्स के रहा। आज पूरे BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-68325791400441573482009-12-23T21:56:00.000-08:002009-12-23T22:24:30.575-08:00डॉ.अजय ke 'चेहरे'kuch बेहद शांत, kuch डरे-सहमे, kuch निश्चल तो kuch गुस्से से तमतमाए हुए। यहां चेहरे ही चेहरे हैं। जिंदगी kuch जाने कितने रंग अपनी safed -काली लाइनों में समेटे ये चेहरे हमारे आस-पास ke ही हैं। उसी भीड़ का हिस्सा जिसमें हम-आप भी एक शिनाkhaत भर हैं। एक चित्रकार ke तौर पर डॉ. अजय जैतली ने इन चेहरों को पढऩे से बड़ा जो काम किया है वह है इन चेहरों ke पीछे छिपे चेहरों की तलाश यानी 'बियांड faces । BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-32355720289198461412009-12-02T19:11:00.000-08:002009-12-05T12:16:02.813-08:00इसरार भाई उर्फ़ 24x7इलाहाबाद में नवाब युसूफ रोड पर एक शॉप है, सरस्वती आटो सर्विस । कल दोपहर में समय मिला तो सोचा गाड़ी साफ करा लूँ। शॉप पर भीड़ काफी थी। मुझे लगा कम समय में मेरा काम नही हो पायेगा लेकिन तभी एक आवाज ने मेरा ध्यान खीचा ......ऐ बब्लू जा साहब की गाड़ी साफ कर पहले। ठीक से धोना। पोलिश भी लगा देना। मुझे थोड़ी राहत हुई ... चलो अब समय से गाड़ी साफ हो जाएगी। कुछ मिनट में ही बातचीत से पता चल गया कि मुझ पर अतिरिक्त BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-66470783371288213422009-12-01T08:37:00.000-08:002009-12-01T09:40:39.699-08:00हेलमेट पहनें, सुरछित रहेंशहर की बदनाम गली का नाम है मीरगंज। आम तौर पर इस मोहल्ले का नाम लोग दबी जुबान में ही लेते है। कुछ शरीफ लोग बहाने से भी इस मोहल्ले में झाँकने की कोशिश करते है लेकिन हमारे छायाकार साथियों के लिए इस इलाके में जाने का मौका कारू के खजाने से कम नही है। चाहे वह कोल्कता का सोनागाछी हो या फ़िर मुम्बई की फाकलैंड रोड। यहाँ की तस्वीरें छाप पाने वाला किस्मत वाला छायाकार माना जाता है। सिल्वर स्क्रीन के सच से BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-42271207957709279572009-11-30T09:59:00.000-08:002009-11-30T10:11:44.357-08:00संगम पर तुम्हारा स्वागत है परिंदों साथी शिव त्रिपाठी ने दो दिन पहले जब जब यह तस्वीर ली थी तो उन्हें परिंदों के साथ खेलता यह बच्चा सिर्फ़ रंगीन विषय भर लगा था। आज जब इसे ब्लॉग पर डाल रहा था तो मुझे इन सफ़ेद परिंदों के बीच यह बच्चा भी परिंदा ही लगा। उड़ान की बेलौस कोशिश करता। काश मै भी एक होता इन परिंदों में। उड़ सकता जी भर खुले आकाश में।BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-13334423087523395432009-11-21T11:31:00.000-08:002009-11-30T12:08:09.608-08:00कनपुरिये माफ़ करेंकाफी साल पहले किसी काम से कानपुर आया था तब भी इस शहर को लेकर मेरे मन में कोई अच्छी छवि नही बनी थी लेकिन अब भी कानपुर वैसा ही होगा, नही सोचा था। कनपुरिये मुझे माफ़ करें क्योकि हो सकता है कि मेरी कोई बात उन्हें पसंद न आए लेकिन सच ये है कि कानपुर की हालत देख कर सच में दुःख हुआ। आज जब देश के कोने कोने में आतंकवाद के नाम पर गलियों में भी पुलिस वाले आपके झोले की जांच करते दिख जाते है, मुझे इतने बड़ेBHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-21676880581403026672009-11-19T19:34:00.000-08:002009-11-19T20:08:03.021-08:00दरवाजा खुला हो या बंददोपहर तीन बजे का वक्त होगा। किसी काम से एक परिचित के घर दाखिल हुआ ही था कि मियां-बीवी का जोरदार झगड़ा सुनाई देने लगा। यहां पति को शक है कि पत्नी को कम सुनता है और पत्नी को लगता है कि जब तक ऊंची आवाज में बात ना करे पति पर असर नहीं होता। इसी चक्कर में दोनों का वॉल्यूम हाई रहता है।आज झगड़े की वजह छोटी थी या बड़ी, इस बारे में सभी की राय अलग-अलग हो सकती है। घटना कुछ इस तरह है। इस घर के इकलौते कमरे की BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-82783689827476238182009-09-25T19:45:00.001-07:002009-09-27T09:30:08.622-07:00----या देवी सर्वभूतेषुनवरात्रि त्योहार है उस मातृ-शक्ति के प्रति कृतज्ञता का जिसने प्रकृति के नृत्य में सक्रिय भाग लिया। प्रकृति ने स्त्री को अपने महारास में शामिल किया। उसे इस सृष्टि का विधायक दर्जा दिया। उसे सृजन में शामिल किया। नवरात्रि इस चेतन प्रकृति माँ के प्रति कृतज्ञता है।ऐसा नहीं कि स्त्री सिर्फ माँ है। उसके कितने रूप हैं उन्हें ही व्यक्त करने को सृष्टि ने नवरात्रि पर्व को जन्म दिया। नौ के अंक को पूर्णांक BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-72269805348995732262009-09-18T19:25:00.000-07:002009-09-19T01:43:52.919-07:00कैमरे के आगेपत्रकारिता में अब धीरे धीरे काफी समय हो चुका है। इस दौरान कई अच्छे -ख़राब अनुभव मिले। कुछ ने मन खट्टा किया तो कुछ ने इस प्रोफेशन को लेकर मेरे उत्साह को और बढाया, शायद यही कारण है कि कभी दिल से इस प्रोफेशन से दूर जाने की नही सोच सका। तमाम दुश्वारियो के बाद भी। रिपोर्टिंग करते समय शायद हर पत्रकार साथी के जीवन में ऐसे पल आते होंगे जिसके रोमांच को वे कभी नही भूल पाए होंगे। ऐसे कुछ अनुभव मैंने भी जिए BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-48943933157067795402009-09-04T05:58:00.001-07:002009-09-04T13:00:40.247-07:00अरे दीवानों इसे पहचानोसिविल लाइन से गुजरते वक़्त पत्थर गिरजा घर को आपने कई बार देखा होगा लेकिन आज उसकी खूबसूरती किसी नई नवेली दुल्हन जैसी लग रही थी। यह खूबसूरत नजारा ख़ास आपके लिए ताकि आप भी इसे देख और इसका आनंद ले सकें । संजय बनौधा जी की एक और प्यारी सी तस्वीर।BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-37498347004308632102009-09-04T05:34:00.000-07:002009-09-04T05:58:10.985-07:00पेट के खातिर मुझे allahabad में बिताया अपना bachpan याद है। ऐसे najare पुलिस लाइन में akksar dikhte थे। भाई sanjai banudha की इस shandar taswee में shayd apko भी जीवन की jijivisha का नया चेहरा दिखायी दे।BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-49822141607159763772009-09-02T03:06:00.000-07:002009-09-02T03:35:24.355-07:00गणपति बप्पा मोरया आज एक वेबसाइट पर गणपति की शानदार तस्वीर देख कर एक पुरानी घटना याद आ गयी। एक रचनाकार मित्र ने अपनी एक कालजयी रचना में चूकवश गणपति बप्पा मोरया के स्थान पर गणपति बप्पा मौर्य लिख दिया। इसे लेकर काफी दिनों तक साथी देवों की जातियां तय करते रहे। मसलन राम सिंह, शंकर पांडे, ब्रम्हा दुबे, रावण तिवारी और न जाने क्या क्या। यह बात पुरानी हो चुकी है लेकिन अब भी जब गणपति बप्पा मोरया सुनता या पढता हूँ तो BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2169828639364026633.post-17757620103291120462009-09-02T00:52:00.000-07:002009-09-02T01:12:11.118-07:00चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है...भविष्य सुधारने के लिए आप क्या हैं? सपने देखते हैं और उसे साकार करने की कोशिशें करते हैं। सपने साकार हुए तो अच्छा और टूट गये तो .....? डर यहीं होता है, घबराहट यहीं होती है। इलाहाबाद में मेरे एक मित्र श्री सतीश श्रीवास्तव ने सुझाया है कि भविष्य संवारने के सिलसिले में मैं अपने ब्लाग पर गोपाल दास नीरज की उस कविता को पूरा का पूरा रखूं, जिसमें उन्होंने फरमाया है कि कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं BHUPESHhttp://www.blogger.com/profile/15106325250661761749noreply@blogger.com1