Saturday, 4 December 2010
alvida allahabad
allahabad se mujhe pyar hai. bina shart. 1994 ke shuru ma jab bade sapne le kar aya tha tab bhi aur ab jab apne sare sapne apni hi potli me samet kar allahabad chod raha hu tab bhi. jab dobara allahabad aya tha to yaha bachpan ke yadee kheenchti thee, ab ja raha hu to utsah, umang aur khas taur par allahabad ka sikhaya hua yad aa raha hai.
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About Me

- BHUPESH
- खुद को समझने की कोशिश लंबे समय से कर रहा हूं। जितना जानता हूं उतने की बात करूं तो स्कूल जाने के दौरान ही शब्दों को लय देने का फितूर साथ हो चला। बाद में किसी दौर में पत्रकारिता का जुनून सवार हुआ तो परिवार की भौंहे तन गईं फिर भी १५ साल से अपने इस पसंदीदा प्रोफेशन में बना (और बचा हुआ) हूं, यही बहुत है। अच्छे और ईमानदार लोग पसंद हैं। वैसा ही रहने की कोशिश भी करता हूं। ऐसा बना रहे, यही कामना है।
भूपेश भाई ....इलाहाबाद से सिर्फ आप को नहीं बल्कि आप से इलाहाबाद को भी खास कर अमर उजाला के पाठकों को प्यार है ....
ReplyDeleteआप के जाने के बाद अमर उजाला में खास कर उच्च शिक्षा बीट में एक निर्वात सा क्रियेट हो गया है...
चाहे वो इलाहाबाद विश्वविद्यालय हो या फिर कुछ और अब इसका पता और अंतर इस वर्ष के IIIT-A के Science Conclave में लगेगा ....
मुझे आपकी वो off beat stories बेहद पसंद हैं और रहेंगी ....
खैर आप मेरठ या कहीं भी रहें छाए रहें और हो सके तो टच में रहें ...
आल द बेस्ट ....पुनीत
kabhi alvida na kahna...
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