Friday, 18 September 2009

कैमरे के आगे


पत्रकारिता में अब धीरे धीरे काफी समय हो चुका है। इस दौरान कई अच्छे -ख़राब अनुभव मिले। कुछ ने मन खट्टा किया तो कुछ ने इस प्रोफेशन को लेकर मेरे उत्साह को और बढाया, शायद यही कारण है कि कभी दिल से इस प्रोफेशन से दूर जाने की नही सोच सका। तमाम दुश्वारियो के बाद भी। रिपोर्टिंग करते समय शायद हर पत्रकार साथी के जीवन में ऐसे पल आते होंगे जिसके रोमांच को वे कभी नही भूल पाए होंगे। ऐसे कुछ अनुभव मैंने भी जिए है। चाहे वह विश्व सुन्दरी सुष्मिता सेन से मुलाकात हो या फ़िर साथी नरेन्द्र यादव के साथ पीएसी की फायरिंग के बीच रिपोर्टिंग, करेली का कर्फू हो या राजू पाल की हत्या के बाद प्रीतम नगर और नीवा की जलती गलियां। एक रिपोर्टर के तौर कभी खुद को पीछे नही होने दिया। कई ऐसे मौके आए जब लगा कि अब मै ख़ुद ही खबर बनने वाला हूँ। सच कहूं तो भीतर से डर भी लगा पर शुक्र है कि अब तक साबूत भी हूँ और उसी उत्साह से रिपोर्टिग भी कर रहा हूँ। काफी दिनों बाद पिछले दिनों allahabad यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के आन्दोलन के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ। इसकी चर्चा भी सिर्फ़ इसलिए कि संयोग से जिस समय मैं , साथी अक्षय, विनोद और एल.ई.यू के ब्रिजेश कैम्पस में चारो ओर से हो रहे पथराव में फंसे थे, समय पूरी हिम्मत के साथ तस्वीरें खीच रहे साथी शिव त्रिपाठी के कैमरे ने अनजाने में हमे भी कैद कर लिया। हम तीन तरफ़ से पथराव और सामने पुलिस के निशाने पर थे । अच्छा हुआ कि पुलिस ने सख्ती न करके ख़ुद भी स्टूडेंट्स पर पथराव शुरू कर दिया। इस बीच हमे भी पत्थरों से बचने का मौका मिल गया । शिव ने कल ही यह तस्वीर दिखायी तो दिल किया कि यह रोमांच आप से भी साझा करू। आम तौर पर कैमरे के पीछे रहने वाले साथियों को आप भी देखिये कैमरे के आगे।

6 comments:

  1. Bhai Wah
    (Bhupesh urf Shekhar)
    der aayad durust aayad kai din baad likha per theek likha
    aur haan
    kuch logon ki aadat pad jati hai Amar Ujala me aapko padhana meri usi aadat me shumar hai so please dushwarian ya challenges face karte rahiye par PATRAKAARITA ke profession se judey rahiye...

    Haan is pix me Vinod to bachte huey lag rahe hain par Akshya to jaise muqabla karne badhte deekh rahey hain

    Well written keep writing...

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  2. संजय कुमार मिश्र
    बहुत ही जीवंत फोटो है, उतनी ही जीवंत पत्रकारिता और खबर लेखन भी है। सच यही है जिसका सामना आपने किया।

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  3. nic to see u in our movement for student union.

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  4. Guru ji majaa to us din hi aaya tha. Hum log khabhi bhi reporting ke us din ko nahi bhool payenge. Ek naya anubhav tha.

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  5. realy reporting is a challenging field but its enjoyble to...an i feel u r doing a great job so keep it up.

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खुद को समझने की कोशिश लंबे समय से कर रहा हूं। जितना जानता हूं उतने की बात करूं तो स्कूल जाने के दौरान ही शब्दों को लय देने का फितूर साथ हो चला। बाद में किसी दौर में पत्रकारिता का जुनून सवार हुआ तो परिवार की भौंहे तन गईं फिर भी १५ साल से अपने इस पसंदीदा प्रोफेशन में बना (और बचा हुआ) हूं, यही बहुत है। अच्छे और ईमानदार लोग पसंद हैं। वैसा ही रहने की कोशिश भी करता हूं। ऐसा बना रहे, यही कामना है।