Monday 13 September, 2010

वो समझ बैठे कि हम भी फरेब करते है.

उन सभी लोगो को धन्यवाद जो मेरे साथ मेरी ताकत बन कर खड़े है न कि मेरे लिए श्यापा कर रहे हैं. इसी हफ्ते ऑफिस जाते समय कुछ पंक्तिया होठो पर आयीं, आप सबके लिए मेरी ओर से .....
नज़र को फेर कर वो दिल पे वार करते हैं
और एक हम है कि उनको सलाम करते हैं.
उनके पहलु में मेरे जख्म सारे सूख गए
वो समझ बैठे कि हम भी फरेब करते है.
काट के पंख मेरे, देखो वो कैसा झूम उठा
ये अलग बात है कि हम हौसलों से उड़ते है.
उनके होने कि खबर मुझको ऐसे होती है
चाँद तारे भी जब इशारो से बात करते है.
नींद भी आँखों से कुछ रूठी हुई सी लगती है
दिन बुरे दोस्त, क्या इसी को कहते है.
प्यार में हमने निभाईं हैं, इस तरह रस्में
चरागे दिल कि रोशनी में, उनको पढ़ते हैं
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3 comments:

  1. नींद भी आँखों से कुछ रूठी हुई सी लगती है
    दिन बुरे दोस्त, क्या इसी को कहते है.
    प्यार में हमने निभाईं हैं, इस तरह रस्में
    चरागे दिल कि रोशनी में, उनको पढ़ते हैं.
    bohot khoob...

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खुद को समझने की कोशिश लंबे समय से कर रहा हूं। जितना जानता हूं उतने की बात करूं तो स्कूल जाने के दौरान ही शब्दों को लय देने का फितूर साथ हो चला। बाद में किसी दौर में पत्रकारिता का जुनून सवार हुआ तो परिवार की भौंहे तन गईं फिर भी १५ साल से अपने इस पसंदीदा प्रोफेशन में बना (और बचा हुआ) हूं, यही बहुत है। अच्छे और ईमानदार लोग पसंद हैं। वैसा ही रहने की कोशिश भी करता हूं। ऐसा बना रहे, यही कामना है।