Wednesday, 2 December 2009

इसरार भाई उर्फ़ 24x7


इलाहाबाद में नवाब युसूफ रोड पर एक शॉप है, सरस्वती आटो सर्विस । कल दोपहर में समय मिला तो सोचा गाड़ी साफ करा लूँ। शॉप पर भीड़ काफी थी। मुझे लगा कम समय में मेरा काम नही हो पायेगा लेकिन तभी एक आवाज ने मेरा ध्यान खीचा ......ऐ बब्लू जा साहब की गाड़ी साफ कर पहले। ठीक से धोना। पोलिश भी लगा देना। मुझे थोड़ी राहत हुई ... चलो अब समय से गाड़ी साफ हो जाएगी। कुछ मिनट में ही बातचीत से पता चल गया कि मुझ पर अतिरिक्त मेहरबानी करने वाले सज्जन दरअसल इसरार भाई है। वही इस सर्विस सेण्टर के मालिक भी है। मुझ से नही रहा गया तो मैंने पूछ ही लिया...क्यो इसरार भाई ये सरस्वती सर्विस सेंटर का क्या चक्कर है....इसरार के लिए मेरा सवाल चौकाने वाला नही था, मुझ से पहले भी ये सवाल उनसे कई लोग पूछ चुके होंगे। इसरार बोले भाई साहब मेरे लोग भी नाराज़ होते है कि सरस्वती के नाम दुकान क्यो चला हो। मै सबसे यही कहता हूँ कि सरस्वती माने ज्ञान और ज्ञान माने विद्या। मै नही मानता भेद-भाव। देखिये, सबका मालिक एक है। दिन भर काम करता हूँ तो शाम को दाल-रोटी का इंतजाम हो पाता है। रोटी अल्ला कि मेहरबानी से आ रही है या सरस्वती की कृपा से इससे क्या फर्क पड़ता है। मै तो आप सबकी सेवा में 24x7 लगा हुआ हूँ। ऊपर वाला भी सेवा में मेवा की सीख देता है........... इसरार भाई जाने कब तक और न जाने क्या क्या बोलते रहे लेकिन मेरे जेहन में उनकी बात अब भी गूंज रही है.... मै नही मानता भेद-भाव। देखिये, सबका मालिक एक है। दिन भर काम करता हूँ तो शाम को दाल-रोटी का इंतजाम हो पाता है। रोटी अल्ला कि मेहरबानी से आ रही है या सरस्वती की कृपा से इससे क्या फर्क पड़ता है...............................

3 comments:

  1. मज़ेदार...और प्रेरणादायी।

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  2. bahut achha likha aapne
    kya aap hamare web portel ke liye likhna chahege
    pls visit www.uplivenews.in
    email--uplive2009@yahoo.in

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  3. bahut sahi kaha mazhab se kya farq roti allah de ya saraswati hum to hai 24*7 available.

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खुद को समझने की कोशिश लंबे समय से कर रहा हूं। जितना जानता हूं उतने की बात करूं तो स्कूल जाने के दौरान ही शब्दों को लय देने का फितूर साथ हो चला। बाद में किसी दौर में पत्रकारिता का जुनून सवार हुआ तो परिवार की भौंहे तन गईं फिर भी १५ साल से अपने इस पसंदीदा प्रोफेशन में बना (और बचा हुआ) हूं, यही बहुत है। अच्छे और ईमानदार लोग पसंद हैं। वैसा ही रहने की कोशिश भी करता हूं। ऐसा बना रहे, यही कामना है।