शहर की बदनाम गली का नाम है मीरगंज। आम तौर पर इस मोहल्ले का नाम लोग दबी जुबान में ही लेते है। कुछ शरीफ लोग बहाने से भी इस मोहल्ले में झाँकने की कोशिश करते है लेकिन हमारे छायाकार साथियों के लिए इस इलाके में जाने का मौका कारू के खजाने से कम नही है। चाहे वह कोल्कता का सोनागाछी हो या फ़िर मुम्बई की फाकलैंड रोड। यहाँ की तस्वीरें छाप पाने वाला किस्मत वाला छायाकार माना जाता है। सिल्वर स्क्रीन के सच से बिल्कुल अलग। न पारो की तरह और न ही उमराव जान की तरह। यहाँ न महल से दिखने वाले कोठे है और न ही पान चबाती बाई। यहाँ तो हर किसी को दो जून की रोटी के लिए भी जाने कितने बार अपने गर्म शरीर पर वासना की रोटियां सिकवानी पड़ती है। जानवरों के दरबे जैसी जगह पर उम्र बितानी पड़ती है। आज विश्व एड्स दिवस पर एक संस्था के प्रतिनिधि का फ़ोन आया कि वह मीरगंज में हेलमेट बाँटना चाहते है। साथी अनुराग चौके कि मीरगंज में भला हेलमेट का क्या काम।खैर कुरेदा तो पता चला कि वह दरअसल कंडोम को हेलमेट कह रहे है। उन्हें कंडोम कहने में शर्म आ रही थी इसलिए वो कोड में बोल रहे थे। ये मौका भला कोई क्यो छोड़ना चाहेगा इसलिए इस शोर्ट नोटिस पर ही संस्था के तीन प्रतिनिधियों को कवर करने के लिए दो दर्जन छायाकार मीरगंज पहुँच गए। संस्था के लोगो ने कंडोम काम पैक निकाल लिया। उन्हें संकोच भी हो रहा था। एक ने धीरे से एक मीरगंज वाली को बताने कि कोशिश की कि कंडोम कैसे लगाया जाता है। फ़िर क्या था बात उसके दिल को लग गयी। बोली .... तुम क्या बताओगे बाबु , जाओ अपना काम करो हमें पता है, कैसे लगाया जाता है। चले आए फोटो खिचवाने ... हमारी भी कुछ इज्ज़त है... कमरे में तो रोज़ नंगे होते है अब सड़क पर भी नंगा करोगे क्या...........ढेर सारी औपचारिकता कुछ मिनटों में ख़त्म हो गया। कैमरे बैग में चले गए। कुछ चटपटी तस्वीरें फ़िर नही मिल सकी । मीरगंज फ़िर आबाद हो गया बिना हेलमेट के।
Tuesday, 1 December 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Followers
हिन्दी में लिखिए
wow
dil ki bat
About Me
- BHUPESH
- खुद को समझने की कोशिश लंबे समय से कर रहा हूं। जितना जानता हूं उतने की बात करूं तो स्कूल जाने के दौरान ही शब्दों को लय देने का फितूर साथ हो चला। बाद में किसी दौर में पत्रकारिता का जुनून सवार हुआ तो परिवार की भौंहे तन गईं फिर भी १५ साल से अपने इस पसंदीदा प्रोफेशन में बना (और बचा हुआ) हूं, यही बहुत है। अच्छे और ईमानदार लोग पसंद हैं। वैसा ही रहने की कोशिश भी करता हूं। ऐसा बना रहे, यही कामना है।
Sateek likha hai Bhupesh Bhai
ReplyDeleteWaise naam dhank dein to kai aur shahar aisey hi dikhai denge..
मॉल शहर के चेहरे की खूबसूरती तो बढ़ा सकते हैं लेकिन पहले चेहरा मेकअप लायक तो बने
ye vakya post ki jaan hai
Zyadaa likhiye roz likhiye...
ise comments mein add kar lijiye
...puneet.
Sateek likha hai Bhupesh Bhai
ReplyDeleteWaise naam dhank dein to kai aur shahar aisey hi dikhai denge..
मॉल शहर के चेहरे की खूबसूरती तो बढ़ा सकते हैं लेकिन पहले चेहरा मेकअप लायक तो बने
ye vakya post ki jaan hai
Zyadaa likhiye roz likhiye...
ise comments mein add kar lijiye
...puneet.
kya baat hai sir bhauta hi zakass laga age bhi ase hi likhe acha lagata ki koi to hai zo etana shandar lagta hai.
ReplyDeleteshiv tripathi
meerganj ke halat par bahut kam shabdo me hakikat ko utara gaya hai.badnam galiyo me nam kamane ki koshish karne walo ko bhi kya khoob tamacha mara hai.
ReplyDeleteyogendra