Sunday 27 December, 2009

गुड नाइट मुंबई...


माफ कीजिएगा, इलाहाबाद से निकला तो सोचा था कि मोबाइल के जरिए आप से संपकॆ बनाए रखूंगा लेकिन उसकी नौबत ही नहीं आई। २४ दिसंबर को इलाहाबाद से सिरडी के लिए रवाना हुआ तो कुछ किलोमीटर के बाद ही खुद को श्रेष्ठ साबित करने की होड़ में रहने वाली एयरटेल और वोडाफोन कंपनियों के नेटवकॆ्स ने साथ छोड़ दिया।भला हो अंबानी बंधुओं का कि फैमिली में तमाम ब्रेक्स के बाद भी रिलायंस का नेटवकॆ बिना ब्रेक्स के रहा। आज पूरे दिन साथॆक घुमक्कड़ी के बाद मुंबई को नए नजरिए से देखने का मौका मिला। रात के करीब १२ बजे हम वापस घर पहुंचे। थकी हुई मलिल्काए आला और साहबजादे कुछ ही मिनटों में सो गए। मुंबई अपनी गति से चल रही है। मैं भी काफी थक चुका हूं लेकिन आशू का लैपटाप देखकर दिल हुआ कि मुंबई को कम से कम गुड नाइट जरूर कर लूं। इलाहाबाद लौटते ही कुछ नए अनुभव सिरडी और मुंबई को लेकर आपके सामने हाजिर होउंगा। तब तक के लिए गुड नाइट मुंबई...................

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खुद को समझने की कोशिश लंबे समय से कर रहा हूं। जितना जानता हूं उतने की बात करूं तो स्कूल जाने के दौरान ही शब्दों को लय देने का फितूर साथ हो चला। बाद में किसी दौर में पत्रकारिता का जुनून सवार हुआ तो परिवार की भौंहे तन गईं फिर भी १५ साल से अपने इस पसंदीदा प्रोफेशन में बना (और बचा हुआ) हूं, यही बहुत है। अच्छे और ईमानदार लोग पसंद हैं। वैसा ही रहने की कोशिश भी करता हूं। ऐसा बना रहे, यही कामना है।