''मेरे दोस्त
मुझे अभी मत देना
शुभकामनाएं
मैं जानता हूं
कोख में ही कर दी जाएगी
इसकेञ् भ्रूण की हत्या
अभी शनि की साढ़े साती है
तो राहुलृकेञ्तु भी
भाग्योदय केञ् द्वार पर ही अड़े हैं
अभी नタकारखाने में तूती की तरह
अनसुनी कर दी जाएंगी प्रार्थनाएं
अभी रखने दो
किसी 'आका' को सिर पर हाथ
अभी उगने दो वर्तमान की タयारियों में
मंगलकामनाओं की फसल
अभी प्रतीक्षा करो, धैर्य से
अनुकूञ्ल स्थितियों केञ् आने तक''
अपने रचना कर्म से हमेशा मेरे मन पर गहरे असर डालने वाले साथी अनिल सिद्धार्थ से उनकी ये पंタतियां आज जबरन मांगी। उन्होंने भी सह्दयता से अपने व्यस्त समय में से कुञ्छ क्षण निकाल कर मुझ पर कृञ्पा की और मेरे लॉग की शुभकामना केञ् रूञ्प में अपनी ये प्रिय पंタतियां मुझे सौंप दी। उमीद करता हूं मुझ कच्चे की लेखनी को इस शानदार लाइनों से कुञ्छ रंग मिल जाएगा।
Friday, 24 July 2009
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dil ki bat
About Me
- BHUPESH
- खुद को समझने की कोशिश लंबे समय से कर रहा हूं। जितना जानता हूं उतने की बात करूं तो स्कूल जाने के दौरान ही शब्दों को लय देने का फितूर साथ हो चला। बाद में किसी दौर में पत्रकारिता का जुनून सवार हुआ तो परिवार की भौंहे तन गईं फिर भी १५ साल से अपने इस पसंदीदा प्रोफेशन में बना (और बचा हुआ) हूं, यही बहुत है। अच्छे और ईमानदार लोग पसंद हैं। वैसा ही रहने की कोशिश भी करता हूं। ऐसा बना रहे, यही कामना है।
Goodlines quoted dear,keep it up and try to express your real self, may not be attractive and appealing first but gradually you will learn the art of writing.
ReplyDeleteDr.Bhoopendra
nice post.
ReplyDeleteसंजय कुमार मिश्र
ReplyDeleteब्लागिंग की दुनिया में आपका जोरदार स्वागत है। आप जैसे ब्लाॅगरों की ही जरूरत है। उम्मीद है कि अब हम सभी को कुछ नया पढने को मिलेगा। फिलहाल आपकी यह रचना काबिले तारीफ है। शब्दों का जो ताना बाना आपने बुना है उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। आज ही मुझे पता भी चला कि आप केवल स्टोरियां अच्छी नहीं लिखते बल्कि काब्य में भी आपका अच्छा दखल है।
jandar,shandar. narayan narayan
ReplyDeleteआपके मना करने के बावजूद आपको शुभकामना दे रहा हूं। अच्छा लिखा है। सिलसिला जारी रहे श्रीमान। मेरे ब्लॉग पर भी आएं।
ReplyDeleteaapka blog achha laga
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